एक घायल कबूतर की दास्तान जिसने लगभग 200 लोगों की जान बचाई।

एक घायल कबूतर की दास्तान जिसने लगभग 200 लोगों की जान बचाई।


यह कहानी एक ऐसे कबूतर पर आधारित है जिसने अपनी जान पर खेलकर 200 लोगों की जान बचाई। इस कबूतर का नाम चेर एमी (cher ami) है। बात प्रथम विश्वयुद्ध की है जब जर्मनी और अमेरिका के बीच लड़ाई जोरों पर थी अमेरिका के एक जांबाज सैनिक कैप्टन व्हितस्ली और उनके कुछ लगभग 200 साथी सीधे जर्मन सैनिकों के निशाने पर थे वे पहाड़ी के एक ढलान पर फस चुके थे उन्हें मदद की जरूरत थी पर उस वक्त संचार माध्यम के लिये सिर्फ रेडियो ही उपलब्ध था। पर युद्ध छेत्र में एक से दूसरी जगह जाने के कारण इन बड़े बड़े रेडियोज को अपने साथ ले जाना संभव न था बहरहाल कैप्टन व्हितस्ली को एक तरकीब सूझी उसने अपनी अमिरिकी सेना से मदद पाने के लिए एक अनोखे सूचना प्रसार के माध्यम का इस्तेमाल किया पहले तो वे दुश्मन सेना की नजरों से कुछ समय के लिए ओझल हो पाने में सक्षम हुए। अब उन्होंने कबूतरों के माध्यमों से संदेश भेजने की सोची पर उनके कुछ प्रयास असफल रहे क्योंकि जर्मन सेना भी जानती थी कि वे जान बचाने के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं इसीलिए उन्होंने कुछ कबूतरों को मार गिराया पर यह आखरी कबूतर जिसका नाम चेर एमी (cher ami) था उसको मार गिराने में जर्मन सेना असफल रही उन्होंने हवा में काफी गोलिया दागे पर उनमे से एक गोली कबूतर के एक पैरो से छूकर गए। इतने में कबूतर घायल होकर जमीन पर गिर गया जिससे उसकी एक आंख भी फूट गयी पर इस जांबाज कबूतर ने अपनी बहादुरी साबित की और उसने घायल होते हुए भी उड़ान भरी और अपना संदेश सही जगह पर भेजने में कामयाब हुआ। पर अफसोस की उसने अपना एक आंख और एक पैर गवाना पड़ा बाद में अमरीकी सैनिकों ने उसके लिए लकड़ी के पैर का इंतजाम किया ताकि वह चल फिर सके पर अफसोस कि कुछ सालों बाद उसकी मौत भी हो गयी

उसके लाश को अमरीकी सेना ने संभालकर रखने की आज्ञा दी। उसके लाश को प्रीजर्व (preserve) करके मूर्ति बनाकर अमेरिकी इतिहास के स्मिथसोनियन संग्रहालय में रखा गया है।


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